भागते हुए वक़्त से जब की हमने गिला
यार जल्दी में क्यों रहते हो तुम इतनी
इन सांसों की हलचल को थमने तो दो
कुछ देर के लिए तो रुक जाओ
जो बिछड़े हमारे तुम्हारे अघोष में
हमें उन्हें ढूँढने तो दो।
पलट बोला वक़्त ने मुझसे
लौट न आएंगे वो तुम जिनके
लौटने की आस लगाए बैठे हो।
जिस धुंद से थे तुम गुज़रे
रह गए कई तुम्हारे अपने वहीं ठहरे
राह ताकते तुम्हारी
बस तुम्हारी ही आस लिए।
मैं था कहाँ बढ़ा
हूँ तो मैं कबसे वहीँ खड़ा
बढ़ तो तुम गए हो दोस्त
मैं तो हूँ बस तुम्हारे पीछे पडा।
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