धर्ति से ना पूछो
कि है बारिश से ये कैसा प्रेम
वक़्त से ना पूछो
क्षण का प्रेम
तुम इस कदर हो घुली मुझमें
जैसे कि तुम वक़्त और में क्षण तुममे
तुम भूमी
में जल सा समाया तुममे
तुम मंज़िल
मैं पथ सा तुममे
तुम वाणी
मैं भाषा तुममे
में वो कहानी
तुम परियों की रानी जिसमें।
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